DASHAMA व्रत 2025 की पूरी जानकारी
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Structure:
1. Introduction
2. What is Dashama Vart? (Details about the keyword)
3. How to observe Dashama Vart? (Apply process)
4. Important documents and things required (Imp Doc)
5. Eligibility Criteria (Who can observe?)
6. Significance of Aarti during Dashama Vart
7. The new story (Nayi Kahani) associated with Dashama Vart
8. Conclusion
We'll use headings, bullet points, and keep the language simple and engaging.
Note: Since the user asked for Hindi, we'll write the entire article in Hindi (Devanagari script
DAHSAMA व्रत 2025: मनोकामनाएं पूरी करने का पवित्र उपाय - पूरी जानकारी हिंदी में
हैलो दोस्तों! सनातन धर्म में व्रत-त्योहारों का विशेष महत्व है। इनमें से एक है "DAHSAMA व्रत"। यह व्रत मुख्य रूप से गुजरात, राजस्थान और कुछ उत्तरी भारतीय राज्यों में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। अगर आप 2025 में DASHAMA व्रत रखने की योजना बना रहे हैं,
तो यह लेख आपके लिए ही है! यहां हम बिल्कुल सरल भाषा में इस व्रत की पूरी जानकारी देंगे - महत्व, विधि, पात्रता, आरती और नई कथा तक।
🔱 DASHAMA व्रत क्या है? समझें इसका महत्व (Dashama Vart Kya Hai?)
DASHAMA व्रत माता दशामा (या आवड़ माता) को समर्पित एक शक्तिशाली व्रत है।
यह व्रत मुख्यतः अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से:
संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है।
कष्टों एवं बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
पारिवारिक सुख-शांति और समृद्धि आती है।
विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
यह व्रत 9 साल या 11 साल तक लगातार करने की परंपरा है, जिसके बाद उद्यापन (समापन) किया जाता है।
📅 DASHAMA व्रत 2025 की तारीख (Dashama Vart 2025 Date)
2025 में DASHAMA व्रत: बुधवार, 24 JULAY 2025 (अश्विन कृष्ण दशमी)
दशमी तिथि प्रारंभ: , रात
दशमी तिथि समाप्त: 03 AUGUST 2025 2025,
(नोट: स्थानीय पंचांग के अनुसार तिथि में थोड़ा अंतर हो सकता है।)
⚡ Dashama व्रत रखने की सही विधि (Dashama Vrat Vidhi)
यह व्रत विशेष रूप से महिलाएं रखती हैं, हालांकि पुरुष भी रख सकते हैं। विधि कुछ इस प्रकार है:
सुबह जल्दी उठकर स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शुद्ध जल से स्नान करें। साफ वस्त्र धारण करें (पीले या लाल रंग के वस्त्र शुभ माने जाते हैं)।
व्रत का संकल्प: पूजा स्थल पर बैठकर माता दशामा का ध्यान करते हुए व्रत रखने का संकल्प लें।
कलश स्थापना एवं माता की प्रतिमा/चित्र: एक कलश में जल भरकर, उस पर नारियल रखें और लाल कपड़ा लपेटें। कलश के पास माता दशामा (आवड़ माता) की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पूजन सामग्री: लाल चुनरी, फूल, माला, कुमकुम, हल्दी, चावल, दीपक, धूप, अगरबत्ती, नैवेद्य (भोग - मीठे चावल, पूरी, हलवा, फल आदि) तैयार रखें।
विस्तृत पूजा:
कलश और माता की प्रतिमा/चित्र पर रोली/कुमकुम चढ़ाएं।
फूल और अक्षत (चावल) अर्पित करें।
धूप-दीप दिखाएं।
माता DASHAMA की आरती गाएं (नीचे दी गई है)।
डाशामा व्रत की कथा सुनें या पढ़ें (पारंपरिक या नई कथा - नीचे दी गई है)।
भोग अर्पण एवं प्रसाद वितरण: तैयार किया गया नैवेद्य (भोग) माता को अर्पित करें। पूजा के बाद इस प्रसाद को परिवार और पड़ोसियों में बांटें।
व्रत का पालन: पूरा दिन निर्जला या फलाहारी व्रत रखा जाता है (परंपरा के अनुसार)। शाम को पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
📜 डाशामा व्रत के लिए जरूरी चीजें (Important Items for Dashama Vrat)
माता दशामा (आवड़ माता) का चित्र या मूर्ति
पीतल या मिट्टी का कलश
जल से भरा कलश, नारियल, लाल कपड़ा
लाल चुनरी
फूल (लाल या पीले रंग के), फूल माला
कुमकुम, हल्दी, चावल (अक्षत)
घी का दीपक, धूप/अगरबत्ती
भोग सामग्री: गेहूं का आटा, चीनी, घी, दूध, फल, मिठाई (पंजीरी/हलवा आदि)
प्रसाद बांटने के लिए प्लेट/कटोरी
Dashama व्रत कौन रख सकता है? (Eligibility Criteria - Dashama Vrat Kon Rakh Sakta Hai?)
मुख्य रूप से महिलाएं: विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और संतान सुख के लिए रखती हैं। कुंवारी कन्याएं अच्छे वर के लिए रख सकती हैं।
पुरुष: पुरुष भी विशेष मनोकामना पूर्ति या परिवार की भलाई के लिए यह व्रत रख सकते हैं।
पात्रता: इस व्रत को रखने के लिए कोई जाति या आयु की कठोर पाबंदी नहीं है। श्रद्धा और विश्वास मुख्य है।
सलाह: पहली बार व्रत रखने वालों को किसी जानकार व्यक्ति या पंडित से विधि अवश्य पूछ लेनी चाहिए।
🪔 ॐ जय दशामा माता, मैया जय दशामा माता।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवराता॥
शीश पर सोहत चमकत, मुकुट मनि भारी।
गले में सोहत पुष्पमाला, कुंडल दोनो पारी॥
एक कर में त्रिशूल सोहै, दूजे कर डमरू।
तीसर कर में खप्पर सोहै, चौथे कर भालू॥
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम ही, कमला तुम ही हो।
शक्ति अरूप निरंकारी, भेद यह न कोय॥
सतयुग में सतरूपा, तुम धरा प्रगट होय।
द्वापर में द्रौपदी रूप, पूजी सब कोय॥
शीश नवाये द्रौपदी ने, तुमको दुःख हरो।
खंडा-खंडा हो गये दुशासन के वस्त्र भारो॥
दासी भक्ति को देखकर, प्रसन्न हुई तुम माता।
दुःख दारिद्र मिटाकर, सुख-सम्पत्ति दी दाता॥
जो कोई तुम्हें ध्यावत, श्रद्धा से गावे आरती।
दुःख दरिद्र मिटा के, सुख-संपत्ति दे दाती॥
ॐ जय दशामा माता, मैया जय दशामा माता॥
(नोट: आरती के शब्द क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार थोड़े भिन्न हो सकते हैं।)
📖 डाशामा व्रत की नई कथा
(Dashama Vrat Ki Nayi Kahani)
एक गांव में एक गरीब लेकिन बहुत धार्मिक बुढ़िया रहती थी। वह हर साल डाशामा व्रत बड़ी श्रद्धा से करती थी। एक साल गांव में भयंकर सूखा पड़ा। अन्न-जल का अकाल हो गया। बुढ़िया के पास व्रत के लिए भोग चढ़ाने को कुछ भी नहीं था, सिर्फ थोड़े से चावल बचे थे। उसने हार न मानी और मिट्टी के छोटे से दीये में घी की जगह पानी डालकर बाती जलाई और उन चावलों को पकाकर माता को भोग लगाया। उसकी इस सच्ची श्रद्धा और तपस्या से प्रसन्न होकर माता दशामा प्रकट हुईं। माता ने उसके खाली बर्तनों में अन्न-धन से भर दिया और पूरे गांव में वर्षा करवाकर सूखा समाप्त कर दिया। माता ने कहा, "बेटी, मैं भक्त के भाव से प्रसन्न होती हूं, चढ़ावे के विस्तार से नहीं। तेरी सच्ची श्रद्धा ने मुझे यहां खींच लाया।" तभी से यह कहावत प्रचलित हुई कि माता डाशामा सच्चे मन से किए गए छोटे से भोग को भी स्वीकार कर लेती हैं।
🙏 निष्कर्ष (Conclusion
)
डाशामा व्रत श्रद्धा, विश्वास और सादगी का प्रतीक है। यह सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि अडिग भक्ति और आत्मसंयम का पर्व है। 2025 का डाशामा व्रत (27 सितंबर 2025) आपके जीवन में नई आशा, सुख और समृद्धि लेकर आए। सही विधि से व्रत रखकर, माता की कथा सुनकर और आरती करके आप इस व्रत का पूरा लाभ उठा सकते हैं। याद रखें, पूरी श्रद्धा और पवित्र मन से किया गया हर छोटा प्रयास माता को अवश्य पसंद आता है। जय दशामा माता!
क्या यह जानकारी उपयोगी लगी? अगर आप डाशामा व्रत 2025 से जुड़ा कोई और सवाल पूछना चाहते हैं, तो नीचे कमेंट करें! माता आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करें! 🙏✨