दशामाँ व्रत का माहात्म्य
व्रत धारक व्यक्ति भक्ति-भावपूर्ण सभी
भाई-बहनों को सुख-संपत्ति, पुत्र और
परिवार को अपार आनंद देता है ।
व्रतधारक की सभी मनोकामनाएँ माँ दशामाँ पूर्ण
करती है और उनके संकट दूर करती है।
सौभाग्यवती नारी का सुहाग सिंदूर अखंड
रखनेवाली माँ दशामाँ का व्रत प्रत्येक वर्ष के
आषाढ मास के अमास के दिन शुरु होता है
। उस दिन प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान
आदि से निवृत्त होकर व्रत करना चाहिए ।
और श्रावण सुद-१० या एकादशी के दिन
इस व्रत की पूर्णाहूति कर के उच्छापन करना
चाहिए।
प्रसाद