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DASHAMA VARAT 2025

Dahsama ka var 25 julay 2025 ko hai

Om Shree Ganeshaya Namaha Nagendraharaya Trilochanaya

Om Shree Ganeshaya Namaha  Nagendraharaya Trilochanaya  Bhasmongaraya Maheshwarai.  Nityaya Shuddhay Digambaraya Tasmai Nakaraya Namah Shivaya  ..1.. Mandakini Salilchandanchurchitay Nandishvarpramathnath Maheshwarai.  Mandarpushpa Bahupushpa Supujitay Tasmai Makarai Namah Shivaya  ..2.. Shivaay Gorivadnabjavrindasuryay Dakshadhwaranashkay.  Sri Neelkanthay Vrishadhvajay Tasmai Shikaray Namah Shivaya:  ..3.. Vashishthakubho Bhadgautamayayamunindradevarchitshakherai  Chandrakvaishwanarlochanaya Tasmai Vakaram Namah Shivaya  ..4.. Yakshaswaroopay Jatadharaya Pinakahastaya Sanatanay.  Divya Devaya Niranjanaya Tasmay Yakaraya Namah Shivay  ..5.. Panchaksharamidam Punyam Yah  Pathachchivsannidhau.  Shivlok Mvaapnoti Shiven Co  modate  ..6.. Iti Srimashankaracharyavirchitam Shivpanchaksharastotram Sampoornam.

દશામા વ્રતનું મહત્વ

                                     દશામા વ્રતનું મહત્વ વ્રત ધારક વ્યક્તિ ભક્ત બધા ભાઈઓ અને બહેનો, પુત્રો અને સુખ અને સંપત્તિ પરિવારમાં ખૂબ આનંદ લાવે છે. માતા દશામા વ્રત રાખનારની તમામ મનોકામના પૂર્ણ કરે છે અને તેમની મુશ્કેલીઓ દૂર કરે છે. નસીબદાર મહિલાનું સુહાગ સિંદૂર જે માતા દર વર્ષે દશામાનું વ્રત રાખે છે અષાh મહિનાની શરૂઆત થાય છે . તે દિવસે વહેલા ઉઠવું અને સ્નાન કરવું વગેરેમાંથી નિવૃત્ત થયા પછી ઉપવાસ કરવો જોઈએ. અને શ્રાવણ સુદ -10 અથવા એકાદશીના દિવસે આ વ્રત કરીને ઉચ્છેદન કરવું જરૂરી. પવિત્ર પ્રસાદ

Significance of Dashama Vrat

                                             Significance of Dashama Vrat The fasting person Devotional-soulful all Happiness and property to brothers and sisters, sons and Gives great pleasure to the family. Mother Dashama fulfills all the wishes of the fast holder and removes their troubles. Suhag vermilion of a fortunate woman unbroken The mother who observes Dashama's fast every year Begins on the month of Ashadh month . Waking up early that day and taking a bath One should fast after retiring from etc. And on the day of Shravan Sud-10 or Ekadashi Performing Uchhapana by performing this fast needed. Holy offerings

दशामाँ व्रत का माहात्म्य

                                                                                                                दशामाँ व्रत का माहात्म्य व्रत धारक व्यक्ति भक्ति-भावपूर्ण सभी भाई-बहनों को सुख-संपत्ति, पुत्र और परिवार को अपार आनंद देता है ।  व्रतधारक की सभी मनोकामनाएँ माँ दशामाँ पूर्ण करती है और उनके संकट दूर करती है। सौभाग्यवती नारी का सुहाग सिंदूर अखंड रखनेवाली माँ दशामाँ का व्रत प्रत्येक वर्ष के आषाढ मास के अमास के दिन शुरु होता है । उस दिन प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत करना चाहिए । और श्रावण सुद-१० या एकादशी के दिन इस व्रत की पूर्णाहूति कर के उच्छापन करना चाहिए। प्रसाद

दशामाँ की स्तुति

                                                                दशामाँ की स्तुति जय जय जय दशामाँ । जय जय जय दशामाँ । तेरी स्तुति, भजन किर्तन जो श्रध्धा से गावै, सारे दुःख दुर हो पल में मन वांच्छित फल पावै, पुत्र रत्न देती बाँझिन को, निर्धन को धन देती, दुर्बल को बलवान करें, रोगी का रोग हर लेती । जय जय जय दशामाँ ! जय जय जय दशामाँ ! निशदिन ध्यान धरो मैया का सदा नाम का जाप करो, जन्म - जन्म के दुःख मिट जाएँ बिन प्रयास भव सिंधु तरो, जय जय जय दशामाँ ! जय जय जय दशामाँ ! Jay dashama

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-निराला है आज का यार प्रति नूर बरसाने वाला वाला है उस्का याह अवसार बड़ा निराला है आज का यार नूर बरसाने वाला वाला है एक बर जोर्दन तालियां बाजा दे कर्यकराम कब कुरु होन वाला है  वो दोस्‍ते जयराम कांकेर शूरू हो गया है प्रताप की जय हो। aur doston Jab karykram Mein Hamare मुख्य अतिथि पहूंचे  Hamare mukhya Atithi Jab Aaye To unke to Swagat ke liye  Bheem aapke liye ek shayari Leiyar Aaya Hun Ki Kahate Hain Ki vah a gaye Din Ka Inteza r tha Aha Hamushon keushushon ke keushhi दीया जलाने आज के मुहब्बत के लिए स्वगीत में लोग जोर्डन तालियान बाजा दे शायरी गम का फुल हो गया, खूशाली आयेगी गम का फुल है , खूशाली आयेगी हर हर प्रस्तर की प्रति जगारियां तालियां बजाएगी, जैसे गीतों की प्रस्तुति दी गई।  तराह की शायरी बोल सक्ते हैं , थोडा सा प्यार थोडी सी दुआएं पात किजीये थोडा सा प्यार थोडी सी दुआएं एते किजीये इने बचनें के लिय जदरिया कलियार बाजा बाजी तैं कजर दानी को कोन है।  एही आपनी कादर दानी को तोर ना चाही अगार प्रस्सुति पासंद मैं हो के तलैयन बाजै इस्के खराब आके ली...

LOVE STORY AND SHAYRI

मीठे बोल बोलिए क्योंकि अल्फाजों होती है मीठे बोल बोलिए || क्योंकि अल्फाजों में जान होती है इन्हीं  आरती अरदास और अजान || होती है यह समुंदर के वह मोती हैं जिनसे इंसान  पहचान होती है || कार्यक्रम की शुरुआत देवी देवताओं के साथ करें एक बेहतरीन || समा बांधा जा सकता है इस तरीके से होंगे हरे भरे पेड़ों पर सूखी || डाली नहीं होती मुस्कुराते हो पर कभी गाली नहीं होती जो बंदा झुक || जाए प्रभु के चरणों में उसकी झोली कभी खाली नहीं होती    ||   पलके बिछाए पिंक कमाल ऐसी कि पल अपना बना अपनी अपना पूरा होना किसी के बगैर यह जिंदगी की हकीकत है दोस्तों मरता नहीं कोई किसी के बगैर इस जिंदगी की हकीकत है दोस्तों पर सांस लेने को जीना तो नहीं कहते अपनी बातों की वजन दारी कुछ इस तरीके से बात करें कोई माल में खुश है कोई सिर्फ दाल में खुश है कोई माल में खुश है कोई सिर्फ दाल में खुश है खुश नसीब है बोलो जो हर हाल में खुश है हर पल की वैल्यू बताते शायरी कुछ इस प्रकार से होगी किस हद तक जाना है कौन जानता है किस हद तक जाना है कौन जानता है किस मंजिल को पाना है कौन जानता है प्यार क...

गाय-भैंस के दूध बढ़ाने का मन्त्र, गाय भैंस का दूध बढ़ाने का मंत्र

गाय-भैंस के दूध बढ़ाने का मन्त्र 'ॐ ह्नीं करालिनि पुरुष सुखं मुजं ठं ठः ।' यह वोरभप्रोड्डीश तन्त्र का पंच दशाक्षर मन्त्र है। इसके विधिवत् प्रयोग से गाय और भैंस के दूध में वृद्धि होती है। गाय भैंस को जो भी घास-भूसादि खिलाना हो उसे उपरोक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित करके उन्हें देने से दूध की मात्रा बढ़ जाती है ।

दशामाँ की स्तुति

                                                                दशामाँ की स्तुति जय जय जय दशामाँ । जय जय जय दशामाँ । तेरी स्तुति, भजन किर्तन जो श्रध्धा से गावै, सारे दुःख दुर हो पल में मन वांच्छित फल पावै, पुत्र रत्न देती बाँझिन को, निर्धन को धन देती, दुर्बल को बलवान करें, रोगी का रोग हर लेती । जय जय जय दशामाँ ! जय जय जय दशामाँ ! निशदिन ध्यान धरो मैया का सदा नाम का जाप करो, जन्म - जन्म के दुःख मिट जाएँ बिन प्रयास भव सिंधु तरो, जय जय जय दशामाँ ! जय जय जय दशामाँ ! Jay dashama

विद्या प्राप्ति के लिए विद्या प्राप्ति के लिए सरस्वती मंत्र

विद्या प्राप्ति के लिए 'ॐॐ नमः श्री श्री अहं वद बद बावादिनी भगवती सरस्वत्यं नमः स्वाहा विद्या देहि ममः हो सरस्वती स्वाहा । सूर्य या चन्द्र ग्रहण के दिन १४४ मन्त्र के जप से साधना का शुभारम्भ करना चाहिये। इसे २१ दिनों तक लगातार १०८ मन्त्र जप करके साधना में लगे रहें। इससे विद्या की प्राप्ति होती है।

तिजारी, इकतरा और आधासीसी (सिरदर्द) झाड़ने का मन्त्र

तिजारी, इकतरा और आधासीसी (सिरदर्द) झाड़ने का मन्त्र   'ॐ कामर देश कामक्षा देवी, तहाँ बसे इस्माईल जोगी । इस्माईल जोगी के तीन पुत्री, एक रोल, एक पक्षीले एक ताप तिजारी इकतरा अथवा आधा सीसी टोरे उतरे तो उतारो चढ़े तो मारो । ना उतरे तो गं गण मोर हंकारी । सबद सांचा, पिंड कांचा । फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा उपरोक्त मंत्र का उच्चारण करते हुए मोर पंख से झाड़ना चाहिए। * आवश्यक सूचना * तन्त्र मन्त्र अपने कार्य की सिद्धि के लिये हैं, न कि उनसे अनु चित लाभ उठाया जावे। पुस्तक में बहुत से उपयोगी तन्त्र मन्त्र दिये गये हैं फिर भी हमारी उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। जिस प्रकार कुआँ या तालाब जल पीने के लिये होता है न कि उसमे डब कर आत्महत्या की जावे या उससे किसी का अनिष्ट किया जावे। यह पुस्तक सर्व के कल्याण उपयों द्वारा किर भी कोई कुरी प्रकृति का गुण के लिये प्रकाशित की गई है किसी का अनिष्ट करे या और कोई अनुचित उपाय अपनाये तो उसमें हमारा क्या दोष है ? पुस्तके लिखिता विद्या सादरं यदि जप्यते, सिद्धिनं जायते तस्य कल्प कोटि शर्तेरी । गुरुं विनापिशास्त्रेऽस्मिन्नाधिकारः कथेचन् ।। अर्थ- जो व्यक्ति केवल पुस्तक...