व्रत की पूजनविधि
व्रतधारक को अषाढ वद अमास
के दिन से यह व्रत प्रारंभ करना चाहिए । प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नानादिक से निवृत्त होकर पवित्र मनोभाव से हृदय में दशामा के नाम का जाप करना चाहिए। एक चौकी पर स्वच्छ कपडा बिछाकर दशामाँ की छबि या प्रतिमा का स्थापन करना चाहिए । मिट्टी की उँटणी पास में रखकर उसके बाजु में तांबे का कलश जल भरकर रखे। कलश के उपर सुतर केदश तार कुमकुम में भीगोकर दश गांठ लगाकर बांधे । ऐसे ही दुसरे दश कुमकुम से भीगोकर व्रतधारक को अपने दाहिने हाथ पर बांधना चाहिए । धूप-दिप करे । उसके बाद दशामा की कथा वार्ता पढे या सुने । दशामाँ के नाम का रटन निरंतर चालु रखे । उसके बाद जय दशामाँ, जय दशामाँ ऐसे १२५ बार जाप करे।