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विद्या प्राप्ति के लिए विद्या प्राप्ति के लिए सरस्वती मंत्र

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विद्या प्राप्ति के लिए 'ॐॐ नमः श्री श्री अहं वद बद बावादिनी भगवती सरस्वत्यं नमः स्वाहा विद्या देहि ममः हो सरस्वती स्वाहा । सूर्य या चन्द्र ग्रहण के दिन १४४ मन्त्र के जप से साधना का शुभारम्भ करना चाहिये। इसे २१ दिनों तक लगातार १०८ मन्त्र जप करके साधना में लगे रहें। इससे विद्या की प्राप्ति होती है।

गाय-भैंस के दूध बढ़ाने का मन्त्र, गाय भैंस का दूध बढ़ाने का मंत्र

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गाय-भैंस के दूध बढ़ाने का मन्त्र 'ॐ ह्नीं करालिनि पुरुष सुखं मुजं ठं ठः ।' यह वोरभप्रोड्डीश तन्त्र का पंच दशाक्षर मन्त्र है। इसके विधिवत् प्रयोग से गाय और भैंस के दूध में वृद्धि होती है। गाय भैंस को जो भी घास-भूसादि खिलाना हो उसे उपरोक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित करके उन्हें देने से दूध की मात्रा बढ़ जाती है ।

तिजारी, इकतरा और आधासीसी (सिरदर्द) झाड़ने का मन्त्र

तिजारी, इकतरा और आधासीसी (सिरदर्द) झाड़ने का मन्त्र   'ॐ कामर देश कामक्षा देवी, तहाँ बसे इस्माईल जोगी । इस्माईल जोगी के तीन पुत्री, एक रोल, एक पक्षीले एक ताप तिजारी इकतरा अथवा आधा सीसी टोरे उतरे तो उतारो चढ़े तो मारो । ना उतरे तो गं गण मोर हंकारी । सबद सांचा, पिंड कांचा । फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा उपरोक्त मंत्र का उच्चारण करते हुए मोर पंख से झाड़ना चाहिए। * आवश्यक सूचना * तन्त्र मन्त्र अपने कार्य की सिद्धि के लिये हैं, न कि उनसे अनु चित लाभ उठाया जावे। पुस्तक में बहुत से उपयोगी तन्त्र मन्त्र दिये गये हैं फिर भी हमारी उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। जिस प्रकार कुआँ या तालाब जल पीने के लिये होता है न कि उसमे डब कर आत्महत्या की जावे या उससे किसी का अनिष्ट किया जावे। यह पुस्तक सर्व के कल्याण उपयों द्वारा किर भी कोई कुरी प्रकृति का गुण के लिये प्रकाशित की गई है किसी का अनिष्ट करे या और कोई अनुचित उपाय अपनाये तो उसमें हमारा क्या दोष है ? पुस्तके लिखिता विद्या सादरं यदि जप्यते, सिद्धिनं जायते तस्य कल्प कोटि शर्तेरी । गुरुं विनापिशास्त्रेऽस्मिन्नाधिकारः कथेचन् ।। अर्थ- जो व्यक्ति केवल पुस्तक...

दाँत दर्द के झाडने का मन्त्र

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दाँत दर्द के झाडने का मन्त्र 'ॐ नमः आदेश कामरु देश कामाख्या देवी, जहाँ बसे इस्माईल जोगी । इस्माईल योगी ने पाली गाय, नित दिन चरने बन में जाय । बन में सूखा घास पात जो खाय, उसके गोबर ते कीड़ा उपजाय । सात सूत सुतियाला, पुच्छि पुच्छि याला । देह पोला मुख काचा । वह अन्न कीड़ा दन्त गलाबे मसूढ़ गलावे, डाढ़ मसूढ़ करे पीड़ा तो गुरु गोरखनाथ की दोहाई फिरे । ' इस मंत्र के प्रयोग के लिए तीन लोहे की कीलें लेकर, इन्हें सात बार अभिमंत्रित करके किसी लकड़ी में ठोंक दें। दाँत, मसूढ़ों और डाढ़ के दर्द में इससे लाभ होता है। * आवश्यक सूचना * तन्त्र मन्त्र अपने कार्य की सिद्धि के लिये हैं, न कि उनसे अनु चित लाभ उठाया जावे। पुस्तक में बहुत से उपयोगी तन्त्र मन्त्र दिये गये हैं फिर भी हमारी उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। जिस प्रकार कुआँ या तालाब जल पीने के लिये होता है न कि उसमे डब कर आत्महत्या की जावे या उससे किसी का अनिष्ट किया जावे। यह पुस्तक सर्व के कल्याण उपयों द्वारा किर भी कोई कुरी प्रकृति का गुण के लिये प्रकाशित की गई है किसी का अनिष्ट करे या और कोई अनुचित उपाय अपनाये तो उसमें हमारा क्या दोष है ? पु...

Eye blinking mantra

 Eye blinking mantra 'North Dishi Kool Kamakhya Hear Yogi's Tiger Isma Iel Yogi's Dui Daughter, One's head was cut off on the other's hearth, the other was blown, Lona Chamari, the cry of words, Sancha Phuli Kachha Pind Kancha Phuro Mantra Ishwaro Vacha' While reciting the above mantra 21 times, draw seven lines in the ground with a knife. In this way, if it is brushed continuously for seven days, then the eye disease gets suppressed. * आवश्यक सूचना * तन्त्र मन्त्र अपने कार्य की सिद्धि के लिये हैं, न कि उनसे अनु चित लाभ उठाया जावे। पुस्तक में बहुत से उपयोगी तन्त्र मन्त्र दिये गये हैं फिर भी हमारी उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। जिस प्रकार कुआँ या तालाब जल पीने के लिये होता है न कि उसमे डब कर आत्महत्या की जावे या उससे किसी का अनिष्ट किया जावे। यह पुस्तक सर्व के कल्याण उपयों द्वारा किर भी कोई कुरी प्रकृति का गुण के लिये प्रकाशित की गई है किसी का अनिष्ट करे या और कोई अनुचित उपाय अपनाये तो उसमें हमारा क्या दोष है ? पुस्तके लिखिता विद्या सादरं यदि जप्यते, सिद्धिनं जायते...

आँख झारने का मन्त्र Eye blinking mantra

आँख झारने का मन्त्र 'उत्तर दिशि कूल कामाख्या सुन योगी की बाघ इस्मा ईल योगी की दुइ बेटी, एक के सिर चूल्हा दूसरी काटै माड़ो फूला लोना चमारी दुहाई शब्द सांचा फूली काछा पिण्ड कांचा फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ' उपरोक्त मंत्र का 21 बार उच्चारण करते हुए चाकू से भूमि में सात रेखा करे। इस प्रकार सात दिन तक निरन्तर झाड़े तो नेत्र रोग का शमन हो जाता है। * आवश्यक सूचना * तन्त्र मन्त्र अपने कार्य की सिद्धि के लिये हैं, न कि उनसे अनु चित लाभ उठाया जावे। पुस्तक में बहुत से उपयोगी तन्त्र मन्त्र दिये गये हैं फिर भी हमारी उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। जिस प्रकार कुआँ या तालाब जल पीने के लिये होता है न कि उसमे डब कर आत्महत्या की जावे या उससे किसी का अनिष्ट किया जावे। यह JD OFFICIAL पुस्तक सर्व के कल्याण उपयों द्वारा किर भी कोई कुरी प्रकृति का गुण के लिये प्रकाशित की गई है किसी का अनिष्ट करे या और कोई अनुचित उपाय अपनाये तो उसमें हमारा क्या दोष है ? पुस्तके लिखिता विद्या सादरं यदि जप्यते, सिद्धिनं जायते तस्य कल्प कोटि शर्तेरी । गुरुं विनापिशास्त्रेऽस्मिन्नाधिकारः कथेचन् ।। अर्थ- जो व्यक्ति केवल पुस्तक लिख...

Don' I change money

Don' I change money Attract money जी अदागी में कुछ का है जी हो या कि pause भागना होगा काम करना करो की आपके पिये अह तब होता है जब अपि उस से काम में पूरी तरह लगे रही अप जाते ही आपको नहीं मिलता है आपको वह मिलागा जीव आप लायक हो । अ आप उली लायक ही जीसेय पीचे मेहनत करते हो

focus on cooking more money than saving money subse PH Patila neyam yan Hal

focus on cooking more money than saving money subse PH Patila neyam yan Hal Hii ki Aup ko Palle bachane ki vasah Apna dhan paise Layana Hal kamagge kuki ye yest bat HatJabhi Hal jekin me Ham apni asumatemahi Hal is ko banut H keam log Agmate Hal is live false @kata karony & Shamil kar Hal lekin YaH chod के ke Jab ki usa ulja karu Chahiye Paise bucna neki. Jagah use Kamane je KARNI chaHiye esi liye мантет рижте тан как pura dhur paisa kumne Lacno Aga AEUPK momchuttecan 70 yousal ki umar Ame Cheds. 24 sal me siHe Jiye mahanat karni padeg

प्रसादइस प्रकार व्रत की विधिकरने के

प्रसाद इस प्रकार व्रत की विधिकरने के बाद सबको जय दशामाँ कहकर प्रसाद बाटे । प्रसादमें सवासो ग्राम लापसी, लड्डु या फीर चावल-घी- गुड का भोग धराएं । उसी को प्रसाद के रुप में बांटे, अखंड दिया जलाएं, उपवास रखे, आरती - थाल-भजन-कीर्तन इत्यादि गाए, रात को बाराह बजे तक रात्रि जागरण करे। बाद में माँ दशामाँ का नाम जपते जपते सो जाए।

व्रत की पूजनविधिव्रतधारक को अषाढ वद अमास

व्रत की पूजनविधि व्रतधारक को अषाढ वद अमास के दिन से यह व्रत प्रारंभ करना चाहिए । प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नानादिक से निवृत्त होकर पवित्र मनोभाव से हृदय में दशामा के नाम का जाप करना चाहिए। एक चौकी पर स्वच्छ कपडा बिछाकर दशामाँ की छबि या प्रतिमा का स्थापन करना चाहिए । मिट्टी की उँटणी पास में रखकर उसके बाजु में तांबे का कलश जल भरकर रखे। कलश के उपर सुतर केदश तार कुमकुम में भीगोकर दश गांठ लगाकर बांधे । ऐसे ही दुसरे दश कुमकुम से भीगोकर व्रतधारक को अपने दाहिने हाथ पर बांधना चाहिए । धूप-दिप करे । उसके बाद दशामा की कथा वार्ता पढे या सुने । दशामाँ के नाम का रटन निरंतर चालु रखे । उसके बाद जय दशामाँ, जय दशामाँ ऐसे १२५ बार जाप करे।

जय जय जय दशामाँ । जय जय जय दशामाँ । तेरी स्तुति, भजन किर्तन जो श्रध्या से गावै, सारे दुःख दुर हों पल

जय जय जय दशामाँ । जय जय जय दशामाँ । तेरी स्तुति, भजन किर्तन जो श्रध्या से गावै, सारे दुःख दुर हों पल में मन वांच्छित फल पावै, पुत्र रत्न देती बाँझिन को, निर्धन को धन देती, - दुर्बल को बलवान करे, रोगी का रोग हर लेती । जय जय जय दशामाँ ! जय जय जय दशामाँ ! निशदिन ध्यान धरो मैया का सदा नाम का जाप करो, जन्म - जन्म के दुःख मिट जाएँ बिन प्रयास भव सिंधु तरो, जय जय जय दशामाँ ! जय जय जय दशामाँ !